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Friday 3 June 2016

ठोस कार्यवाही के बजाय अधिकारी दौड़ाते रहे कागजी घोड़े

न्यायालय के अवमानना पर डीएम के प्रति हाईकोर्ट सख्त
केराकत, जौनपुर (सं.) 3 जून। स्थानीय क्षेत्र के ग्राम पंचायत में पारित प्रस्ताव के विरूद्ध सड़क निर्माण में बाधा उत्पन्न करने वालों के खिलाफ कोई कार्यवाही न होने से खफा होकर उच्च न्यायालय द्वारा जिलाधिकारी के प्रति कड़ी नाराजगी जाहिर की गयी है। मामला केराकत तहसील क्षेत्र के तरियारी ग्राम पंचायत से जुड़ा है।
मालूम हो कि ग्राम पंचायत तरियारी में 12 जनवरी 2014 में प्रस्ताव पास करके दो रास्तों पर मनरेगा योजनार्न्तगत सड़क निर्माण कराये जाने की योजना बनी जिसमें गांव के ही कुछ लोग अवरोध उत्पन्न कर रहे थे। मामले की शिकायत होने के बाद भी कोई कार्यवाही न होने तथा निर्माण कार्य न होने की दशा में उक्त गांव निवासी समाजसेवी राजाराम ने इस मामले में उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
इनकी शिकायत पर न्यायालय ने मामले को गम्भीरता से लेते हुये 24 अगस्त 2015 को कार्यवाही हेतु जिलाधिकारी भानु चन्द्र गोस्वामी को आदेशित किया था। इस पर जिलाधिकारी ने उपजिलाधिकारी केराकत को निर्देशित किया तो उन्होंने खण्ड विकास अधिकारी को निर्देशित कर मामले से पल्ला झाड़कर केवल कागजी पन्ने पर लिखते रहने का ही काम किया जिसका असर यह रहा कि धरातल पर कुछ भी नहीं हो पाया।
मामला जस का तस लटका रहा। वहीं दूसरी ओर न्यायालय के आदेश का अनुपालन न होता देख फरियादी ने इस मामले में जब पुनः न्यायालय का दरवाजा खटखटाया तो न्यायालय ने इसे अपने आदेश की अवमानना मानते हुये 24 मई 2016 को इस मामले में फिर से नोटिस जारी कर जिलाधिकारी से इस सम्पूर्ण प्रकरण की कार्य प्रगति तलब कर दिया है। अब देखना यह है कि जिला व स्थानीय प्रशासन की इस मामले के क्या तेजी होती है, वह कहां तब सड़क निर्माण में गम्भीरता के साथ कार्य प्रारम्भ करता है।

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