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Wednesday 13 July 2016

इनकम डिक्लेरेशन स्कीम, 2016

इनकम डिक्लेरेशन स्कीम, 2016,  1 जून 2016  से 30 सितम्बर 2016  चार महीनो के लिए खुली है.
 IDS,2016 (इनकम डिक्लेरेशन स्कीम) सभी को एक अवसर प्रदान कर  रही  है जिसमे जिन्होंने अपनी आय सही से डिक्लेर नहीं की है वह अब उसे क्लीन कर सकते है.
एलिजिबल व्यक्ति जो आय डिक्लेअर करेगा , उसपर  30% का टैक्स भरना पड़ेगा  और उसके साथ में 25% का सरचार्ज  कृषि कल्याण सेस टैक्स के रूप  में , टैक्स  पर  30 * 25% = 7.5% और  25% पेनल्टी (7.5%) यानि कुल 45%  टैक्स भरना पड़ेगा .
कम्पट्रोलर ऑडिटर जनरल ऑफ़ इंडिया ने VDIS 1997 कि निंदा की थी और जो सही टैक्सपेयर्स हे उनके लिए इस स्कीम को अपमानजनक और फ्रॉड बताया है. इसलिए दर को 45 % ही रखा गया है.
काला धन का संचय करने का प्रमुख कारण  अनुचित टैक्स था. यह प्रासंगिक होगा यह बताने के लिए कि  सत्तर के दशक में अपने देश में सबसे ज्यादा टैक्स रेट 97.75 % (टैक्स 85 % + सरचार्ज 15%) था. इसका मतलब यह हुआ कि कोई भी व्यक्ति जो इनकम 10 लाख के ऊपर डिक्लेअर करता था उसे लग भग Rs.9,77,500 /- का टैक्स भरना पड़ता था .(अगर हम एक्सेम्पशन लिमिट छोड़ देते है तो ). इसके अलावा वेल्थ टैक्स भी भरना पड़ता था. अभी का मैक्सिमम  टैक्स रेट 30% है और 3% एजुकेशन सेस है प्लस सरचार्ज है जो की 1970 की तुलना करने पर बहुत उचित है. अभी की मौजूदा इनकम डिस्क्लोसर स्कीम,2016 जिसकी बजट 2016 में घोषणा की गई है उसमे कुछ पॉजिटिव पहलु भी है और थोड़े नेगेटिव भीमौजूदा  रेट ऑफ़ टैक्स अभी 45 % है (टैक्स 30 % + सरचार्ज 7 .5 %+ पेनल्टी 7 .5 %) जो VDIS ,1997  के  टैक्स पेयबल  से 1.5 गुना है और यह बात भी है की VDIS  में कोई पेनल्टी नहीं थी. 
यह योजना  1 जून 2016  से 30 सितम्बर 2016  चार महीने   तक है. टैक्स सरचार्ज और पेनल्टी का पेमेंट 30 नवंबर, 2016 तक कर सकते है.डिक्लेरेशन आप ऑनलाइन फाइल कर सकते है या फिर जुरिसडिक्शनल प्रिंसिपल कमिश्नर ऑफ़ इनकम टैक्स के पास.
यह स्कीम उनके लिए है जिन्होंने अपनी इनकम फाइनेंसियल ईयर 2015 -16 या फिर उससे पहले डिस्क्लोज  नहीं की है चाहे वो इन्वेस्टमेंट के फॉर्म में हो या फिर किसी और, इस स्कीम में सभी सातो  श्रेणियों के व्यक्ति जो इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 2 (31 ) में बताये गए है डिक्लेरेशन फाइल कर सकते है और  अपनी  इनकम  AY 2016 -17 तक डिस्क्लोज कर सकते है.
निम्नलिखित व्यक्ति इस स्कीम के लिए योग्य नहीं है :-
1 जब किसी को नोटिस अंडर सेक्शन 142(1 ) या 143 (2 ) या 148 या 153A या 153C
  में प्राप्त हुई हो.
2. जहाँ पर सर्च या सर्वे हुआ है और रेलवेंट प्रोविशन के तहत नोटिस दी गयी है और वह एक्सपाइर  नहीं हुई हो.
3.  यदि कोई एग्रीमेंट के तहत विदेश से इनकम के बारे में  इनफार्मेशन रिसीव की गयी हो.
4. केसेस जो ब्लैक मनी एक्ट , 2015 में  है  या
5. व्यक्ति जो स्पेशल कोर्ट एक्ट 1992 में सूचित है या
6.  केसेस जो इंडियन पीनल कोड, नारकोटिक ड्रग्स एंड पशयकतरोपिक सब्सटेंस एक्ट,1985 , द अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट, 1967 , द प्रिवेंशन ऑफ़ करप्शन एक्ट ,1988  में कवर्ड है.
कोई भी व्यक्ति, डिक्लेरेशन  करता  है , वह  कोई  और  डिक्लेरेशन  नहीं  फाइल  कर  सकता  हैयदि  वह  ऐसा  करता  है  तो  उसका  अतिरिक्त  डिक्लेरेशन  अमान्य  होगा .कोई भी व्यक्ति यह स्कीम में एक ही बार  डिक्लेरेशन दे सकता है. ना  ही वह  डिक्लेरेशन को  रीवाइज     कर  सकता   है और  ना   ही वह एक से ज्यादा डिक्लेरेशन दे सकता   है.
इस  डिक्लेरेशन  के  सम्बन्ध  में  कोई  स्क्रूटिनी  या  इन्क्वायरी   इनकम  टैक्स  या  वेल्थ  टैक्स  के  तहत  नहीं  होगी . यह  डिक्लेरेशन   में  इनकम  टैक्स  ,वेल्थ  टैक्स , बेनामी  ट्रांसक्शन  प्रोहिबिशन  एक्ट  , 1988 के  अनुसार  अभियोग  (प्रॉसिक्यूशन )  नहीं  होगा .लेकिन  इसके  लिए  एसेट्स  को  स्पेसीफाएड   पिरियड  में  एक्चुअल  ओनर  के  नाम  पर  ट्रांसफर   करना  होगा .
जो  इनकम  डिक्लेअर  करेंगे  उसमे  किसी  भी  तरह  का  ख़र्चा  या  अलाउंस  नहीं  मिलेगा . यदि  पूरा  टैक्स  पेनल्टी  के  साथ  टाइम  पर  नहीं  भरते  हो  तो   डिक्लेरेशन  अमान्य  होगा.  ऐसे  ही  यदि  गलत  डिक्लेरेशन  या  तथ्यों   को  छुपाकर  गलत  डिक्लेरेशन  दिया  गया  हे  तो  वह  अमान्य  होगा .
यदि  डिक्लेरेशन  एसेट्स  के  लिए  है  तब  एसेट्स  की  1st जून  2016 को  जो  फेयर  मार्किट  वैल्यू  (FMV) होगी  उसे  स्कीम  में  अंडिस्क्लोस  इनकम  माना  जायेगा . इसमें  विदेशी  एसेट्स  या  इनकम  जिस  पर   ब्लैक  मनी  एक्ट ,2015 लगता  है  का  डिक्लेरेशन  नहीं  कर  सकते  है. जो  भी  एसेट्स  डिक्लेअर  करेंगे  उस   पर   वेल्थ  टैक्स  नहीं  लगेगा . इस  योजना  का  एक  बड़ा  प्रोविशन  फेयर  मार्किट  वैल्यू (FMV) है  जो  पूरी  स्कीम  को  प्रभावित  करता  है .
1st जून  2016 की  FMV, एसेट  की  खरीदी  मूल्य से  ज्यादा  हो  सकती  है  जिसके  कारण बहुत  ज्यादा  टैक्स  लग  सकता  है . शायद  ये  ज्यादा  आकर्षित   स्कीम  ना  लगे. यदि  फाइनेंस  मिनिस्टर  FMV पर  टैक्स  नहीं  लगाते  है  तो  स्कीम  सफल  हो  सकती  है .एसेट  के  खरीदने  के  मूल्य   पर  पेनल्टी  और  टैक्स  मिलाकर  45% भर  सकते  है .FMV   पर  टैक्स   भरना  सभी  के  लिए  संभव  नहीं  होगा  क्योंकि  इतनी  रकम  टैक्स  भरने  के  लिए  उप्लब्ध्  नहीं  होगी .

उदाहरण : यदि  कोई  व्यक्ति  एक  घर  एक  करोड़  में  खरीदता  है   और  उसकी  FMV आज  10 करोड़  है  तो  उसे  4.5 करोड़  कुल  टैक्स  भरना   पड़ेगा . शायद  यह  उसके  लिए  संभव  नहीं  होगा  इसके  लिए  उसे  मकान  ही  बेचना  पड़  सकता  है .इसलिए  यदि  इस  स्कीम में  परिवर्तन  आता  है  तो  यह  स्कीम  सफल  हो  सकती  है .पुरानी  VDIS , 1997  स्कीम में  एसेट  की  खरीदी  मूल्य  पर  टैक्स  भरना  था  और  ज्वेलरी   पर 1.4.1987 की  मार्किट  वैल्यू  पर  टैक्स  भरना  होता  था . इस  स्कीम  के  नियम  अभी  सरकार  को सूचित  करना  है .यह  उम्मीद   करते  है  की  इसमें   सकारातमक  परिवर्तन  लायेंगे.
साभार— तेजस टूडे

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