कराह रही हैं केराकत कस्बे सहित मुख्य मार्ग की सभी सड़कें
आर.एस. यादव
केराकत, जौनपुर (सं.) 26 जून। एक ओर जहां पूरे प्रदेश में सड़कों व मुख्य मार्गों को अतिक्रमण मुक्त कराने के साथ सड़कों को दुरूस्त किये जाने का अभियान चल रहा है, ताकि लोगों सहित वाहनों के आवागमन में किसी को कोई परेशानी न होने पाये, वहीं केराकत नगर में इसका कोई भी असर होता नहीं दिखयी दे रहा है। जनता अतिक्रमण करने वालों से जहां बुरी तरह से त्रस्त है, वहीं अतिक्रमण् करने वाले पूरी तरह से मस्त नजर आ रहे हैं। प्रशासन है जो इनके आगे पस्त नजर आ रहा है।
जी हां! यह हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि केराकत कस्बे सहित प्रमुख मार्गों की हालत देखकर बोल निकल पड़ते है। कस्बे के अंदर की सड़कों की हालत अतिक्रमण के कारण कराह रही है। मुख्य मार्ग जौनपुर-मांझी घाट राजमार्ग की भी हालत बुरी है। कोतवाली चौराहे से सरायबीरू चौराहे तक सड़क की दोनों पटरियों पर अतिक्रमण का दायरा फिर से पैर पसार रहा है। सड़क की पटरी तक लगनेे वाली दुकानों से जहां अतिक्रमण को बढ़ावा मिल रहा है और आवागमन में परेशानी हो रही है, वहीं बराबर दुर्घटना होने का भी भय बना रहता है।
मजे की बात है कि पुलिस से लेकर स्थानीय अधिकारियों का भी बराबर से इधर से आना-जाना होता रहता है लेकिन किसी का भी ध्यान इधर नहीं जा रहा है। सबसे बुरी स्थिति कस्बे के अंदर की सड़कों की है जहां पटरियों तक अतिक्रमण का दायरा साफ दिखायी देता है। पुराने चौराहे से लेकर नये चौराहे तक अतिक्रमण किस कदर है। इस राह से गुजरने वाला ही बता सकता है। मजे की बात है कि तहसील, उपजिलाधिकारी कार्यालय, कोतवाली, क्षेत्राधिकारी, उपनिबंधक कार्यालय से लेकर यूनियन बैंक भी इसी मार्ग पर है। बावजूद इसके जाम और अतिक्रमण का झाम यहां बराबर दिखायी देता है।
जाम भी ऐसा कि यदि इसके बीच में कोई 4 पहिया वाहन आ जाय तो जाम के चले पैदल भी लोगों का चलना कठिन हो जाता है। यूनियन बैंक व उपनिबंधन कार्यालय के सामने तो जूस आदि का ठेला लगाकर इस प्रकार से आवागमन अवरूद्ध कर दिया जाता है। मानो सड़क पर नहीं, बल्कि घर के सामने ठेला लगा रखा गया है। इसी मार्ग से डाकघर है। ऐसे में यह मार्ग अति व्यस्त होने के साथ सुरक्षा के लिहाज से भी काफी अहम माना जाता है। ऐसे में यहां लगने वाला जाम व अतिक्रमण से बैंक आने-जाने वालों को कई प्रकार के जाखिमों से दो-चार होना पड़ता है। बावजूद इसके स्थानीय प्रशासन का इस ओर ध्यान नहीं जा पा रहा है।
जिलाधिकारी के प्रयासों व प्रशासन की सख्ती से मुख्यालय की सड़कों को देखकर लोगों में उम्मीद जगी थी कि शायद प्रशासन की नजरें केराकत कस्बे की सड़कों की ओर भी इनायत हांेगी लेकिन लोगों का सोचना गलत साबित हो रहा है। स्थानीय प्रशासन इस ओर से पूरी तरह से उदासीन बना हुआ है।
बताते चलें कि एक समय रहा कि जब कस्बे के अंदर से ही जौनपुर से गाजीपुर का आवागमन हुआ करता था जहां से छोटे-बडे़ सभी वाहनों का आवागमन हुआ करता था। आज उसी मार्ग से छोटे वाहनों का आवागमन कठिन हो गया है। इसकें पीछे बढ़ते अतिक्रमण के साथ दिन-प्रतिदिन सिकुड़ते जा रहे सड़क के दायरे को लोग जिम्मेदार मान रहे हैं। लोगो का कहना है कि प्रशासन अतिक्रमणकारियों पर ठोस कार्यवाही करने के बजाय महज कोरम पूरा करता आया है।
यही कारण है कि केराकत कस्बे में आवागमन की समस्या दिनों-दिन गहराने के साथ जाम का झाम बढ़ता ही जा रहा है। अब देखना यह है कि तेज-तर्रार जिलाधिकारी जो इन दिनों जिला मुख्यालय को एक नया स्वरूप देने में लगे हुये है, केराकत कस्बे की ओर उनकी नजरें कब इनायत होती है?
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