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Friday 15 July 2016

‘‘क्या तुम इण्डियन हो? लगती तो नहीं!’’

‘‘क्या तुम इण्डियन हो? लगती तो नहीं! बोलो, बोलो जैसे शब्द दिल्ली के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट इमिग्रेशन डेस्क पर बैठे एक अधिकारी ने मणिपुर की युवती मोनिका के लिये कहा तो राष्ट्रीय एकीकरण को जबर्दस्त धक्का लगा। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत ‘विविधता में एकता’ के नाम पर जाना जाता है लेकिन कुछ लोगों की वजह से कभी-कभी शर्मसार होना पड़ता है। इस घटना के बारे में मोनिका ने सोशल मीडिया का सहारा लेते हुये फेसबुक पर पोस्ट किया कि शनिवार की रात 9 बजे टर्मिनल 3 पर घटना घटित हुई। मोनिका सोल जाने के लिये दिल्ली के आईजीआई पहुंची थी। इस दौरान इमिग्रेशन डेस्क पर एक अफसर ने उनके साथ
बदसलूकी की। बकौल मोनिका, अधिकारी ने उससे पूछा- ‘‘पक्का इण्डियन हो? देश में कितने राज्य हैं? मणिपुर से किन-किन राज्यों की सीमा लगी है? इससे साफ जाहिर होता है कि उस अधिकारी ने पद की गरिमा को कलंकित किया है। इस पर केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री किरण रिजिज ने उचित कार्यवाही का आदेश देते हुये कहा कि दोषी के खिलाफ जांच होगी। घटना की जानकारी मिलने के बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने युवती से ट्विटर पर माफी मांगी और कार्यवाही का भरोसा दिया। युवती का आरोप है कि इमिग्रेशन अफसर ने उस पर नस्लीय टिप्पणी की और पूछा कि क्या वाकई में वह भारतीय है जबकि उसके पास भारत का पासपोर्ट था।
प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री जितेन्द्र सिंह ने भी इस मुद्दे पर रिजिज का समर्थन करते हुये कहा कि केन्द्र की मोदी सरकार इस तरह के व्यवहार को कत्तई बर्दाश्त नहीं करती। उन्होंने कहा कि जब से भाजपा सरकार सत्ता में आयी है, पूर्वोत्तर को सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक रूप से देश की मुख्य धारा में शामिल करने की कोशिश हो रही है। सभी को यह समझना चाहिये कि पूर्वोत्तर के लोग भी उतने ही भारतीय हैं जितने कि देश के अन्य हिस्से के लोग। राज्यमंत्री को आखिर यह कहने की जरूरत क्यों आ पड़ी? जबकि भारत देश में रहने वाला हर नागरिक भारतीय है। राज्यमंत्री के बयान से यह लगता है कि राष्ट्रीय एकीकरण में कहीं न कहीं कुछ कमियां रह गयी हैं जिसे सही पटरी पर लाने की जरूरत है। कभी उत्तर भारतीयों के नाम पर महाराष्ट्र में तूफान खड़ा हो जाता है तो कभी पूर्वोत्तर के छात्रों को लेकर देश की राजधानी दिल्ली में नस्लीय टिप्पणी। आज हमारे देश में क्षेत्रवाद, जातिवाद, भाषावाद, साम्प्रदायवाद के नाम पर जहर घोला जा रहा है। अगर समय रहते इस पर अंकुश नहीं लगाया गया तो स्थिति भयावह हो जायेगी।
साभार—तेजस टूडे

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