डा. ब्रजेश यदुवंशी
कुश्ती के साथ बेईमानी का सम्बन्ध पुराना रहा है। हाईप्रोफाइल ड्रामे के बाद रियो ओलम्पिक में जाने की तैयारी कर रहे 74 किलोग्राम भार वर्ग के पहलवान नरसिंह यादव के साथ रविवार को जो हुआ, वह पूर्वांचल के
पहलवानों को पच नहीं रहा है। बाद में मीडिया के सामने आने पर नरसिंह ने यह साफ भी कर दिया कि उसके साथ साजिश की जा रही है। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की संसदीय क्षेत्र के निवासी नरसिंह के साथ आज जो हो रहा है, वह ठीक नहीं है। देश का नेतृत्व करने ओलम्पिक में जा रहे पहलवान के साथ वास्तव में गम्भीर साजिश रची जा रही है। हरियाणा व दिल्ली के पहलवानों और कोचों का साजिशों व कुश्ती के दौरान बेईमानी करने के मामले कई बार प्रकाश में आये है। अंतरराज्यीय कुश्ती प्रतियोगिताओं में जब कुश्ती के दौरान उनका पहलवान जीत रहा होता है तो वे लोग समय कम करवा लेते हैं। यदि उनका पहलवान हार रहा है तो समय बढ़ा लेते हैं। वे लोग ऐसा इसलिए कर लेते हैं कि अधिक से अधिक कोच, आफिसियल वही लोग रहते हैं। कुश्ती जैसे खेल में जो खेल चल रहा है, वह शर्मनाक है और इसकी जितनी भी निंदा की जाय, वह कम है। हालांकि मामले को गम्भीरता से लेते हुये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और पीएमओ कार्यालय ने पूरे मामले की रिपोर्ट तलब की है। साथ ही अधिकारियों से भी इस मामले की पूरी रिपोर्ट जल्द से जल्द देने को कहा है।
बात कुश्ती प्रतियोगिताओं में हुई बेईमानियों की करें तो इसमें कुछ ऐसी पोजिशनें आती हैं कि रेफरी, जज व मैट चेयरमैन में से यदि दो लोग जिस पहलवान को जिताना चाहते हैं, उसके पक्ष में दो अंक के जगह 4 अंक भी दे देते हैं। जब खेल में इस तरह के खेल होते हैं तो खिलाड़ी का मनोबल टूट जाता है और वह खेल को खेल भावना से नहीं खेल पाता। पूरे देश के सभी कोच, सभी पहलवान व समस्त पदाधिकारी जानते हैं कि नरसिंह पहलवान के मैटर में सच्चाई क्या है? जैसे पुराने समय में भी बड़े-बड़े पहलवानों को जुलाब की घुट्टी तक पिला दिया गया था और मारने, धमकाने जैसा काम भी होता रहा है, इसलिए डोपिंग जैसी घृणित कार्य भी कराया जा सकता है। पूर्वांचल के जो भी पहलवान दिल्ली में पहलवानी करने जाते हैं, उन्हें तरह-तरह से प्रताड़ित किया जाता है कि वे यहां से भाग जाय और अच्छे पहलवान न बन सकें। मेस स्टाफ को मिलाकर उनके खाने पीने की चीजों में शक्तिवर्धक दवा दी गयी हो, ऐसा भी ही है।
डब्ल्यूएफआई के अधिकारी के मुताबिक नरसिंह ने अगर डोपिंग की होती तो वह हाल ही में स्पेन में टूर्नामेंट में भाग लेने क्यों जाते? अमूमन किसी पहलवान का महीने में एक बार डोप टेस्ट होता है लेकिन नरसिंह का 3 बार टेस्ट लिया गया। पहला 2 जून, फिर 25 जून और उसके बाद 5 जुलाई। इससे और शक बढ़ जाता है। जब मई में यहां कैम्प लगा था तो हरियाणा सीआईडी के रिपोर्ट के आधार पर नरसिंह पर हमले की आशंका जतायी थी। ऐसे में कोई शक्तिवर्धक खाना में मिलाया ही जा सकता है। नरसिंह के डोप टेस्ट में फेल होने में पूरी साजिश नजर आ रही है, क्योंकि उनके साथ अभ्यास करने और भोजन करने वाले एक अन्य पहलवान जौनपुर के मूल निवासी संदीप तुलसी यादव भी डोप टेस्ट में फेल हो गये हैं। डब्ल्यूएफआई के अधिकारी ने कहा कि संदीप ने ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई भी नहीं किया था तो वह डोपिंग क्यों करेगा? वह भी नरसिंह के साथ रहते थे और भोजन करते थे, इसलिए वह भी डोपिंग में फंस गये। यानी जो साजिश नरसिंह के साथ रची जा रही थी, उसका शिकार संदीप भी हो गये। इधर रसोइये द्वारा यह स्वीकार कर लेना कि मेस में कोई आया था और भोजन में मिलाकर फरार हो गया और वे लोग उसे पकड़ नहीं पाये। इससे स्पष्ट होता है कि इसकी पीछे गहरी साजिश रची गयी है।
फिलहाल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कुश्ती संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा मामले को संज्ञान में लेकर की जा रही तेजी से कार्यवाही से स्थिति साफ हो जाएगी। उम्मीद जतायी जा रही है कि जल्द ही डोप के रिपोर्ट के बाद नरसिंह के ओलम्पिक में जाने की रास्ता साफ हो जायेगा। कुल मिलाकर नरसिंह पहलवान एक बड़ी साजिश के शिकार हुये हैं और इसके पीछे जिस किसी का भी हाथ था, उसके खिलाफ कड़ी कार्यवाही करने की जरुरत है, ताकि इस लेवल के खिलाड़ियों के साथ ऐसा घिनौना खेल न हो सके।
(लेखक वरिष्ठ साहित्यकार एवं स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)
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