Pages

Monday 25 July 2016

कब तक मानव रहित क्रासिंग लेंगे मासूमों की जान?

सुरेश गांधी
कहने को रेलवे ने मानवरहित क्रॉसिंग पर होने वाले हादसों को रोकने लगे ‘उन्नत वॉर्निंग सिस्टम‘ इजात की है। इसके लिए जगह-जगह रेलवे ने न केवल मानव रहित रेलवे क्रासिंग पर वॉर्निंग सिस्टम लगाने, बल्कि एसएमएस के जरिए मानव रहित क्रॉसिंग की सूचना भी देने का दावा करती है। लेकिन सच तो यह है कि दावा सिर्फ हवा-हवाई है। यूपी के किसी भी मानव रहित रेलवे क्रासिंग पर यह सिस्टम अभी लगा ही नहीं है। जबकि हर हादसों के बाद इससे निपटने की दुहाई दी जाती है। आंकड़ों की बात करें तो तीन साल में भदोही, मउ, आजमगढ़, लखनउ सहित यूपी के दर्जनभर जिलों में 35 घटनाओं में 150 से अधिक बच्चों की जाने जा चुकी है।
बेशक, तमाम दावों-वादों के बावजूद मानव रहित क्रासिंगों पर घटित होने वाले हादसों पर ब्रेक लगने की बजाएं घटनाएं बढ़ती ही जा रही हैं। मानव रहित क्रासिंगों पर हादसे रोकने के लिए ‘उन्नत वॉर्निंग सिस्टम व रेलवे के इंजनों में गगन (जीपीएस) चिप्स की व्यवस्था है। इसकी खासियत है कि मानव रहित क्रासिंग पर पहुंचने से मिनट भर पहले इंडीकेटर के तौर पर अलार्म बजने लगेगी। लेकिन सब कागजी खानापूर्ति से अधिक कछ नहीं है। परिणाम यह है कि हादसे दर हादसे हो रहे है। आंकड़ों की बात करें तो तीन साल में भदोही, मउ, आजमगढ़, लखनउ सहित यूपी के दर्जनभर जिलों में 35 घटनाओं में 150 से अधिक बच्चों की जाने जा चुकी है। कहा जा सकता है देश की रेलवे व्यवस्था में जो चीज दुर्घटनाओं का वायस बन रही है, वह है मानवरहित रेलवे फाटक। 
बता दें, देश में दो वर्ष पहले तक तकरीबन 30 हजार से भी ज्यादा रेलवे क्रॉसिंग थे। उनमें 11563 मानवरहित और 18785 दूसरे रेलवे फाटक थे। करीब 40 फीसद हादसे इन फाटकों पर ही होते हैं। इस बजट में भी यह प्रावधान रखा गया है कि 3000 मानवरहित फाटक खत्म किए जाएंगे जबकि 917 ओवरब्रिज बनाए जाएंगे। लेकिन यह आंकड़ा कभी भी पूरी कामयाबी से दर्ज नहीं होता और ज्यादातर पर काम साल पूरा होने तक भी अधूरा ही रहता है। भारतीय रेलवे के ‘विजन 2020’ में यह प्रण है कि मानवरहित फाटक पूरी तरह खत्म करने हैं। इसके अलावा जहां नई पटरियां बिछाने की योजना है, वहां पहले से ही जीपीएस चिप व उन्नत वार्निंग सिस्टम लगाने की योजना है। लेकिन यह सबकुछ अभी वास्तविकता के धरातल पर दिख नहीं रहा है। क्रासिंगों पर अभी भी कोई सुरक्षा व्यवस्था मुहैया नहीं कराई गई। जिससे आसपास के स्कूली वाहन, बस, कार, बाइक समेत जानवर आदि बिना किसी रोक टोक रेलवे ट्रैक पर पहुंच जाते हैं। इन्हें रोकने के लिए ही रेल मंत्री ने मानव रहित क्रासिंगों पर गार्ड रखने की नियुक्ति के निर्देश दिए थे, पर अधिकांश मानव रहित क्रासिंग पर अभी तक गार्ड की नियुक्ति नहीं हो पाई है। इतना ही नहीं पिछले दिनों एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे को निर्देश भी दिया है कि भले ही महकमें को बजट की दिक्कत हो, लेकिन मानवरहित क्रॉसिंग पर हो रही मौतों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने ही होंगे। कोर्ट ने माना कि कुछ क्रॉसिंग ऐसी हैं, जहां ऐसे हादसे हो रहे हैं, जो खतरनाक हैं। रेलवे को ऐसी खतरनाक क्रॉसिंग का पता लगाकर कोर्ट को बताना चाहिए। बावजूद इसके अभी तक इस निर्देश पर भी कोई ठोस अमल नहीं किया जा सका है। 
यह अलग बात है कि मानवरहित रेलवे क्रॉसिंग पर हादसे रोकने के लिए रेलवे का साथ इसरो (इंडियन रिसर्च स्पेस ऑर्गेनाइजेशन) भी जुटा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, इसरो जल्द ही रेलवे के इंजनों में गगन (जीपीएस) नामक चिप लगाएगा, जो सेटेलाइट सिस्टम से जुड़े होंगे। रेल लाइन की ध्वनि से ही चिप को आगे मानवरहित क्रॉसिंग का आभास हो जाएगा और हॉर्न बजने लगेगा। लगातार हॉर्न बजने पर लोग खुद ही अलर्ट होकर लाइन से हट जाएंगे। इसके अलावा रेलवेे का यह भी दावा है कि हादसों को रोकने के लिए जियोग्राफिकल इनफॉर्मेशन सिस्टम और ग्लोबल पोजिशनिंग सैटेलाइट टेक्नोलॉजी की मदद ली जाएगी। रेलवे ने सभी मानव रहित क्रॉसिंग को चिह्नित कर वहां इंडिकेटर और सायरन लगाने की योजना बनाई है। ऐसे क्रॉसिंगों पर होने वाले हादसों की रोकथाम के लिए रेलवे ने गेट मित्रों की तैनाती करने की योजना बनाई है। लेकिन यह सब कब होगा पता नहीं। दावा है कि इंडिकेटर और सायरन उस जगह से एक किलोमीटर की दूरी में ट्रेन आते ही एक्टिव हो जाएंगे। इससे क्रॉसिंग की तरफ आने वालों को मालूम पड़ जाएगा कि इस वक्त रेलवे ट्रैक पार करना खतरे से खाली नहीं है। रात में और कोहरे में ये इंडिकेटर भले न दिखे, लेकिन सायरन आने-जाने वालों को अलर्ट करता रहेगा। रेलवे ने इस वॉर्निंग सिस्टम का ट्रायल भी शुरू कर दिया है। तमिलनाडु के कोयंबटूर-मेटूपल्लायम रेल सेक्शन पर सिस्टम का ट्रायल हो रहा है। इसके परिणाम बेहद उत्साहजनक रहे हैं और इलाके के लोगों ने इसे सार्थक पहल बताया है। साथ ही रेलवे ने मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग की तरफ बढ़ रहे व्हीकल ड्राइवर को अलर्ट करने के लिए एसएमएस अलर्ट सिस्टम भी विकसित किया है। इसमें मोबाइल के जरिए गाड़ी के ड्राइवर मानवरहित क्रॉसिंग के पास पहुंचते ही एडवांस्ड टेक्नोलॉजी की मदद से एसएमएस पाएंगे। इससे वे सावधान हो सकेंगे। वॉर्निंग सिस्टम बनाने के लिए आरडीएसओ, रेलवे बोर्ड का सेफ्टी डायरेक्टरेट और आईटी विंग क्रिस की टीम जुटी हुई है।
फिरहाल अब तक हुए हादसों की तहकीकात कने पर पाया गया कि 80 फीसद दुर्घटनाएं मानवीय चूक के कारण होती हैं। और इसका आधे से ज्यादा बड़ा हिस्सा मानवरहित क्रॉसिंग पर ही घटित होता है। सरकारी आंकड़ों पर नजर डालें तो 2011-12 में जो 115 रेल दुर्घटनाएं र्हुइं, उनमें से 87.78 फीसद मानवीय भूल के कारण र्हुइं। उनमें से भी 52 रेलवे विभाग के कर्मचारियों और 63 दूसरे लोगों की गलती से र्हुइं। रेलवे की एक समीक्षा समिति ने 2012 में अपनी एक रिपोर्ट में पाया था कि हर साल 1500 लोग इन फाटकों पर अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं। इनमें से ज्यादातर लोग इन्हें पार करने की जल्दी में अपने प्राण दे बैठते हैं। इन मौतों पर आरोप-प्रत्यारोप और कानूनी पेचीदगियां अपनी जगह, लेकिन यह तथ्य अपनी जगह कायम है कि देश की रेल व्यवस्था का यह एक ऐसा पहलू है जिस पर काबू पाकर इसे ‘सामूहिक जनसंहार’ के आरोप से तो एक हद तक बचाया जा ही सकता है। फिलहाल ऐसी योजना है कि 2017 तक 30,348 रेलवे क्रॉसिंग में से 10,797 को तो सिरे से ही खत्म कर दिया जाए। यह फैसला भी किया जा चुका है कि कोई और नई क्रॉसिंग भविष्य में पटरियों पर न हो। 
अब तक हुए हादसों पर एक नजर 
16 दिसंबर 2014: बिहार के नवादा जिले में किउल-गया रेलखंड पर शफीगंज गांव के पास मानव रहित क्रॉसिंग पर गया-हावड़ा एक्सप्रेस ट्रेन की एक बोलेरो जीप से टक्कर हो गई। इसमें 5 लोग मारे गए और 3 घायल हो गए।
7 फरवरी 2014: यूपी के रामपुर के गोकुलनगरी रेलवे क्रॉसिंग पर संपर्क क्रांति एक्सप्रेस ने एक बुलेरो को टक्कर मार दी, जिसके कारण उसमें सवार सात लोगों की मौत हो गई। घटना रामपुर रेलवे स्टेशन के पास की है।
19 मई 2014: यूपी के जौनपुर के गौरा बादशाहपुर के सलसहा गांव में मानवरहित क्रॉसिंग पर सतईराम की कार को जौनपुर-औडहिर पैसेंजर ट्रेन ने टक्कर मार दी थी। उनकी मौके पर ही मौत हो गई थी। 
24 जुलाई 2014: तेलंगाना में मेडक जिले के चेगुंटा में मानव रहित रेलवे फाटक पर रेल और बस की टक्कर में बस चालक और स्कूली बच्चों सहित 18 लोगों की मौत हो गई। हादसे में 21 बच्चे घायल हुए थे। 
19 अगस्त 2014: बिहार के मोतीहारी के सुगौली-सेमरा रेलवे क्रॉसिंग पर ट्रेन और ऑटो की टक्कर में 18 लोगों की मौत हो गई। मारे गए लोगों में 6 पुरुष, तीन महिलाएं और 9 बच्चे शामिल थे। 
4 दिसंबर 2014: यूपी के मऊ के खूटाहार में एक स्कूल वैन एक मानवरहित रेलवे क्रॉसिंग पर रेलगाड़ी की जद में आने से 5 बच्चों की मौत हो गई। जबकि 20 बच्चे घायल हो गए थे। 
देश में आए दिन हो रही रेल हादसों से सवाल ये उठता है कि रेल यात्रियों की जान की क्या कोई कीमत नहीं है? कम से कम हालात तो यही बया कर रहे है कि सरकार एक के बाद एक हो रही हादसों से कोई सबक नहीं लेना चाहती। खासतौर से उस दौर में जब कई रेलवे स्टेशनों पर आर-पार फुट ओवरब्रिज नहीं है, जो है वह जर्जर हो चले है। मानव रहित क्रासिंगों पर गार्ड नहीं है। कुछ ऐसा ही हाल पुलों एवं पुलियों का है जो अपनी निर्माण की अवधि को सालों पहले पार कर चुके है फिर भी जुगाड़ की तिकड़ी से उन्हीं जर्जर पुलों व पुलियों से काम लिया जा रहा है। कुछ ऐसे ही हालात रेल डिब्बों, रेल पटरियों व रेल इंजनों का भी है, जबकि यही सब रेल हादसों का सबसे बड़ा कारण बनते है। अब तक हुएा हादसों में तो यही देखने को मिला।

No comments:

Post a Comment