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Monday 25 July 2016

केसरियामय हुई सड़कें, बोलबम से गूंजे शिवालय

सावन महीने के पहले सोमवार पर समूचा देश शिवमय हो गया। शिव
मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए भक्तों की भारी भीड़ दिखी। दिल्ली, वाराणसी, बिहार, झारखंड, एमपी हर जगह लोग हाथों में जल लिए भगवान शिव को चढ़ाने के लिए लंबी कतारों में इंतजार करते देखे गए। मंदिरों में भजन-कीर्तन और पूजा-अर्चना भी शुरू हो गई है।
सुरेश गांधी

वाराणसी। देवों के देव महादेव को अति प्रिय और पवित्र सावन का पहला सोमवार भक्ति एवं श्रद्धा से सराबोर रहा। शायद ही कोई ऐसा बचा हो जो सृष्टि के संहारक, त्रिनेत्रधारी, भगवान भोलेनाथ की भक्ति को समर्पित सावन के इस सोमवार को शिववालयों में महादेव को जलाभिषेक न किया हो। सुबह भगवान सूर्य की किरणे धरती पर पड़ने से पहले शिव मंदिरों के आसपास लाखों श्रद्धालुओं को पूजन-अर्चन के लिए जाते
देखा गया। मंदिर के कपाट खुलते ही श्रद्धालुओं का भगवान शिव पर जलाभिषेक का सिलसिला शुरु हुआ तो देर रात तक थमा नहीं। छोटा हो बड़ा या फिर बुजुर्ग, महिला हो फिर युवतियां सबके सब बड़ी संख्या में लोगों ने उपवास भी रखा और मंदिरों में जाकर दूध व शहद आदि से अभिषेक कर बिल्व पत्र आदि चढ़ा कर पूजा-अर्चना की। शिव चालीसा, शिव स्त्रोत का पाठ व ओम नमः शिवाय व महामृत्युंजय आदि मंत्रों का जाप भी भक्तों ने की। कई मंदिरों में रूद्राभिषेक व महाआरती का भी आयोजन किया गया। मंदिरों में शाम को भोले का नयनाभिराम श्रृंगार किया गया। भोले की आरती कर प्रसाद का वितरण किया गया। 
मंदिरों में बज रहे भक्ति गीतों के बीच हर-हर, बम-बम, हरहर महादेव के जयकारे से पूरा वातावरण शिवमय हो गया है। सड़के कावड़ियों से पटी पड़ी है। मंदिरों में बाबा भोलेनाथ के शिवलिंग कहीं फूलों से तो कहीं दूधों से डूबे नजर आएं। मंदिरों में आज के दिन विशेष श्रृंगार देखने को मिला। जगह-जगह कलश यात्रा भी निकाली गयी। काशी में बाबा विश्वनाथ का मंदिर हो या फिर उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर, या फिर देवघर में बाबा बैजनाथ धाम हर जगह श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। कांवड़ियों ने गंगा स्नान कर हाथों में जल का लोटा लिया और बोलबम के नारे के साथ बाबा का जलाभिषेक किया। काशी बाबा विश्वनाथ की नगरी है और बाबा का शिवलिंग बारह ज्योतिर्लिंगों में अहम स्थान रखता है इसलिए यहां पूरे श्रावणभर बोलबम के जयकारे गूंजते हैं। भक्त कांधे पर कांवर और हाथों में जल का लोटा लेकर बोलबम के उद्घोष के साथ बाबा विश्वनाथ को जल चढाते हैं। मान्यता है कि बाबा विश्वनाथ अपने भक्तों की हर मुराद पूरी करते हैं। शायद यही वजह है कि बाबा के दरबार में हर रोज लगने वाली लंबी कतार के सापेक्ष सावन में सौ गुना बढ़ जाता है। जलाभिषेक करने वाले कांवड़ियों का सैलाब उमड़ पड़ता है। सावन के पहले सोमवार पर करीब एक लाख भक्त बाबा का जलाभिषेक करने पहुंचे हैं। उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर में भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया गया। विधिवत पूजा-अर्चना के बीच भगवान शिव के दर्शनों के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर पहुंचे। गाजियाबाद के प्रसिद्ध प्राचीन शिव मंदिर दूधेश्वरनाथ में सावन माह में शिव के जलाभिषेक को भक्त जुटने लगे हैं। इस दूधेश्वरनाथ मंदिर की भक्तों में भारी मान्यता है और दूर-दूर से लाखों लोग सावन माह में यहां शिव का जलाभिषेक करने आते हैं। दूधेश्वरनाथ मंदिर की मान्यता हैं पुराने समय में यहां चरने वाली गायों का दूध खुद ही निकलने लगता था और गायें यहां जमीन में दबे शिवलिंग का अपने दूध से स्वतः की अभिषेक करती थीं। कहा जाता है कि सावन के महीने में भगवान शंकर की पूजा करने से भोलेनाथ अपने भक्तों के सारे कष्ट दूर कर देते हैं। इस महीने पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होता है।

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