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Saturday 23 July 2016

यूपी में योगी का 'कद' बढ़ा गए मोदी

सुरेश गांधी
गोरखपुर की रैली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जिस अंदाज में योगी आदित्यनाथ की महिमा कसीदें पढ़े और तारीफों का पुल बांधा, उससे तो उनका कद बढ़ा ही, यूपी सीएम के तौर पर प्रोजेक्ट किए जाने की संभावना को भी बल मिला है। माना जा रहा है कि अगर सबकुछ ठीकठाक रहा तो यूपी विधानसभा चुनाव योगी आदित्यनाथ की ही अगुवाई में लड़ा जायेगा।
बेशक, हर किसी को मालूम है हाल के दिनों में भाजपा में वहीं होता है जो मोदी-अमित की जोड़ी चाहती है। खासकर गोरखपुर की सभा में पहली बार मोदी ने पार्टी सांसद योगी आदित्यनाथ की महिमा को मंच से गुणगान किया। भला क्यों नहीं करते, मोदी समझ गए सामने जो भीड़ उमड़ी है वह योगी के लिए ही है। बीच-बीच में योगी-योगी के लगते नारे मोदी को इस बात का अहसास करा रहे थे कि उनमें कितना दम है। मोदी बखूबी समझ रहे थे कि यहां लड़ाई जनता के साथ ही नेता की भी है और योगी आदित्यनाथ के समर्थकों के सीएम के सपने की भी है। इसीलिए भोजपुरी में अपना भाषण शुरू करते हुए मोदी ने अवाम की नब्ज पकड़ने की भरपूर कोशिश की। भोजपुरी बोलते हुए उनके दिमाग में छह करोड़ भोजपुरी भाषी थे। मोदी ने कहा, आप एतनी संख्या में अइलीं, आपके देखके हमार मन गदगद हो गइल। इधर, कृतज्ञ निगाहों के साथ ही मोदी की जयकारे लगा रही भीड़ ने भी उनका खूब साथ निभाया। शायद यही वजह है कि एम्स व खाद कारखाना जैसी योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए मोदी ने गोरक्षपीठ के महंत और सांसद योगी आदित्यनाथ को श्रेय दिया। इससे यूपी सीएम के तौर पर प्रोजेक्ट किए जाने की संभावना को भी बल मिला है। माना जा रहा है कि अगर सबकुछ ठीकठाक रहा तो यूपी विधानसभा चुनाव योगी आदित्यनाथ की ही अगुवाई में लड़ा जा सकता है। 
वैसे भी गोरखपुर-बस्ती मंडल में विधानसभा की कुल 65 सीटे हैं। इसमें बीजेपी के पास 2012 में 8 सीटें आई थीं। एक सीट और उपचुनाव में हार गए, जबकि एक विधायक सपा में चला गया। लिहाजा कुल 6 सीटें ही पार्टी के पास है। ऐसे में विकास के सहारे हिंदुत्व को मजबूत करने व जातीय समीकरण की हवा निकालने के लिए ही मोदी ने विकासवाद का नारा बुलंद किया है। इसलिए पीएम ने एम्स और खाद कारखाने के बहाने पूर्वांचल की बुनियादी समस्याओं के सुधार की दुहाई दे रहे है। हिन्दूत्व को मजबूत करने के लिए ही मोदी ने संतो को भी रिझाते हुए महिमामंडित किया। कहा, यहां के संत कल्याण के लिए काम करते हैं। गोरखपुर की धरती इस परम्परा में अग्रणी है। भारत की संत परंपरा महान है। यहां ऐसे भी संत हैं, जो शौचालय निर्माण करवाने के साथ ही सामाजिक सुधार में भी अपना योगदान दे रहे है। ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ आजीवन सामाजिक कार्य के लिए लगे रहे और उनसे मेरा सम्पर्क मेरे राजनीति में आने से पहले का था। पूर्वांचल में ही कबीर, गुरु गोरखनाथ, महावीर और महात्मा बुद्ध जैसे संत हुए। इसलिए इस क्षेत्र का खास महत्व है। इस धरती से पूरी दुनिया को ज्ञान मिला। वैसे भी महंत योगी आदित्यनाथ संसद भवन में मेरे साथी हैं। वह महंत अवैद्यनाथ की परम्परा को बेहतर तरीके से आगे बढ़ाते हुए काम कर रहे हैं। वैसे भी रैली स्थल पर जब-जब योगी आगे आए या उनका नाम लिया गया, तालियां और शोर बढ़ गए। 
मोदी जानते है गोरखपुर में आम जुमला यूं नहीं है ‘गोरखपुर में रहना है तो योगी-योगी कहना है।‘ बल्कि इसके पीछे सच्चाई भी है। गोरखनाथ मंदिर से लेकर रैलीस्थल तक योगी समर्थकों ने इसका बखूबी एहसास कराने की कोशिश भी की। मंदिर में संत सम्मेलन में मोदी के पहुंचने से पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद के नेतृत्व में यूपी में योगी को अगुवाई दिए जाने की भूमिका पढ़ी जा रही थी। वहां के भाषणों का लब्बो लुआब यही था श्मोदी और योगी का योग चल रहा है। योगी को नेतृत्व मिले इसके लिए आवश्यकता होगी तो संत भी बाहर निकलेंगे। चिन्मयानंद का कहना है कि हमने पीएम से योगी आदित्यनाथ को नेतृत्व देने के लिए अनुरोध भी किया है, क्योंकि वो हर मानकों पर खरे उतरते हैं। खाद कारखाना पूर्वांचल में औद्योगिक क्रांति की राह खोलेगा। खाद कारखाने का श्रेय जनता को देते हुए कहा कि आपने दिल्ली में चुनकर मजबूत सरकार नहीं भेजी होती तो अब भी यह लटका ही रहता। इलाज के अभाव में अब हमारे बच्चों को मरने नहीं दिया जाएगा। इसलिए यहां एम्स खोला जा रहा है। महंगाई के मसले पर सरकार के आलोचकों को भी मोदी ने निशाने पर लिया। कहा, टमाटर का दाम बढ़ने पर 24 घंटे सरकार की आलोचना करने वाले तैयार रहते हैं। उनको कभी किसानों की याद नहीं आती। किसानों को उनका हक नहीं मिलना चाहिए क्या? हमारे देश में महंगाई पर चर्चा होती है लेकिन महत्वपूर्ण फैसलों को भुला दिया जाता है। 30 साल में पहली बाद खाद की कीमतें घटी हैं। इसकी चर्चा नहीं होती।  
बता दें, जब सम्पूर्ण पूर्वी उत्तर प्रदेश जेहाद, धर्मान्तरण, नक्सली व माओवादी हिंसा, भ्रष्टाचार तथा अपराध की अराजकता में जकड़ा था उसी समय नाथपंथ के विश्व प्रसिद्ध मठ श्री गोरक्षनाथ मंदिर गोरखपुर के पावन परिसर में शिव गोरक्ष महायोगी गोरखनाथ जी के अनुग्रह स्वरूप माघ शुक्ल 5 संवत् 2050 तदनुसार 15 फरवरी सन् 1994 की शुभ तिथि पर गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ जी महाराज ने अपने उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ जी का दीक्षाभिषेक सम्पन्न किया। योगीजी का जन्म देवाधिदेव भगवान् महादेव की उपत्यका में स्थित देव-भूमि उत्तराखण्ड में 5 जून सन् 1972 को हुआ। शिव अंश की उपस्थिति ने छात्ररूपी योगी जी को शिक्षा के साथ-साथ सनातन हिन्दू धर्म की विकृतियों एवं उस पर हो रहे प्रहार से व्यथित कर दिया। प्रारब्ध की प्राप्ति से प्रेरित होकर आपने 22 वर्ष की अवस्था में सांसारिक जीवन त्यागकर संन्यास ग्रहण कर लिया। आपने विज्ञान वर्ग से स्नातक तक शिक्षा ग्रहण की तथा छात्र जीवन में विभिन्न राष्ट्रवादी आन्दोलनों से जुड़े रहे। अपने पूज्य गुरुदेव के आदेश एवं गोरखपुर संसदीय क्षेत्र की जनता की मांग पर योगी ने वर्ष 1998 में लोकसभा चुनाव लड़ा और मात्र 26 वर्ष की आयु में भारतीय संसद के सबसे युवा सांसद बने। जनता के बीच दैनिक उपस्थिति, संसदीय क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले लगभग 1500 ग्रामसभाओं में प्रतिवर्ष भ्रमण तथा हिन्दुत्व और विकास के कार्यक्रमों के कारण गोरखपुर संसदीय क्षेत्र की जनता ने उन्हें वर्ष 1999, 2004, 2009 और 2014 के चुनाव में निरन्तर बढ़ते हुए मतों के अन्तर से विजयी बनाकर पांच बार लोकसभा का सदस्य बनाया। संसद में सक्रिय उपस्थिति एवं संसदीय कार्य में रुचि लेने के कारण केन्द्र सरकार ने खाद्य एवं प्रसंस्करण उद्योग और वितरण मंत्रालय, चीनी और खाद्य तेल वितरण, ग्रामीण विकास मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी, सड़क परिवहन, पोत, नागरिक विमानन, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्रालयों के स्थायी समिति के सदस्य तथा गृह मंत्रालय की सलाहकार समिति, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय और अलीगढ़ विश्वविद्यालय की समितियों में सदस्य के रूप में समय-समय पर नामित किया।
साभार— तेजस टूडे

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