कथक सम्राट बिरजू महाराज के साथ दे चुका है अपनी प्रस्तुति
जौनपुर। बचपन से ही संगीत के साथ जुड़कर निरंतर संगीत साधना करते हुये काशी का लाल नितेश तबला वादन में नित नये परचम लहरा रहा है। ऐसा नहीं है कि उसको यह प्रतिभा विरासत में मिली हो। अलबत्ता इसे पाने के लिये नीतेश का जीवन संघर्षों से भरा है। काशी के कबीरचौरा अस्पताल में 15 जनवरी सन् 1994 को नीतेश का जन्म एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ। पिता अशोक श्रीवास्तव लेखपाल हैं एवं माता गृहिणी हैं। 3 भाई-बहनों में सबसे छोटा होने के कारण नीतेश का पालन-पोषण अत्यधिक लाड-प्यार से हुआ। साधारण परिवेश में शिक्षा के साथ अभिभावकों ने अपने बच्चे की विशेष रूचि बन चुके संगीत की शिक्षा की भी व्यवस्था किया। उम्र के साथ नीतेश में तबले को लेकर जिज्ञासा बढ़ती गयी और उसकी अंगुलियां तबले की थापों पर सुर लहरियां बिखेरने लगीं। अपने गुरू दीपक सिंह के सानिध्य में नीतेश ने तबले जैसी कठिन विद्या पर महारथ हासिल किया। 5 वर्षों की कठिन तपस्या के बाद आज मनोज तिवारी, भजन सम्राट अनूप जलोटा के अलावा विश्वविख्यात कथक सम्राट पं. बिरजू महाराज के कार्यक्रम में अपनी प्रस्तुति दे चुके नीतेश का सपना भविष्य में एक संगीत विद्यालय खोलने का है। इस बाबत नीतेश ने बताया कि उसने बीएचयू से संगीत में डिप्लोमा किया है। दूरदर्शन, आकाशवाणी के अलावा सैकड़ों स्टेज प्रोग्राम पर अपनी प्रस्तुति देने के बाद लोगों को संगीत से जोड़ने के लिये वह हमेशा प्रेरित करता रहा, क्योंकि संगीत ही एक ऐसी विधा है जो नफरत को भुलाकर लोगों में प्यार व एकता का संदेश देती है।
Bahut kaamyaab baney hamara Bhai...aur hum Bhaiyo ka Naam Roshan karey....yahi dill se duaa hai...Jai ho Vijay ho
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